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लेनिन समाधि व मास्को के लाल चौक के 7 अन्य दर्शनीय स्थल

लाल चौक रूस की और मस्क्वा (मास्को) की सबसे मशहूर जगह है। इसे प्राचीनकाल से ही लाल चौक कहकर पुकारा जाता है। रूस में ’लाल’ का मतलब होता है ख़ूबसूरत और सुन्दर। इसीलिए मस्क्वा के क्रेमलिन (किले) के साथ सटे इस अनुपम मैदान को भी लाल चौक कहा जाता है। दुनिया में शायद ही कोई ऐसा आदमी होगा, जिसने अपने जीवन में एक बार लाल चौक को नहीं देखा होगा या कभी उसका नाम नहीं सुना होगा। रूस की समाजवादी क्रान्ति के नेता व्लदीमिर लेनिन की समाधि लाल चौक पर ही बनी हुई है। यहीं पर कुछ और अनोखे दर्शनीय स्थल भी हैं। यहाँ हमेशा कोई न कोई समारोह, महोत्सव, प्रदर्शनी या  मेला लगा रहता है। आज रूस-भारत संवाद आपको विस्तार से लाल चौक के बारे में बता रहा है।

इतिहास संग्रहालय

Ekaterina Chesnokova/RIA Novosti

जब आप त्यातरालनया, अख़ोत्नी रियाद और प्लोशद रिवोल्युत्सी मैट्रो स्टेशनों की तरफ़ से लाल चौक पर पहुँचेंगे तो सबसे पहले आपकी नज़र लाल ईंटों वाली एक पुरानी-सी इमारत पर पड़ेगी। 

यह रूस का इतिहास संग्रहालय है। यह इमारत 16 वीं सदी की परम्परागत प्राचीन रूसी वास्तुकला की धरोहर है। हालाँकि 19 वीं सदी में ज़ार अलिक्सान्दर द्वितीय के आदेश पर इसका पुनर्निर्माण किया गया था। तब इमारत बनाने वाले वास्तुकार को यह आदेश दिया गया था कि इमारत को इस ढंग से बनाया जाए कि वह मस्क्वा क्रेमलिन का ही एक हिस्सा लगे।  

इस इतिहास संग्रहालय में लगी स्थाई प्रदर्शनी वाकई बड़ी दिलचस्प है। मस्क्वा के हर स्कूल के छात्र इस प्रदर्शनी को देखने के लिए आते हैं और इमारत के मुख्य हॉल में पहुँचकर दंग रह जाते हैं। हॉल में फ़र्श से छत तक रूस के ज़ारों के चित्र और उनकी वंशावली-वृक्ष बना हुआ है। रूस के प्राचीन इतिहास के अलावा यहाँ रूस के 20वीं सदी के इतिहास की भी विस्तार से जानकारी पाई जा सकती है। इस इतिहास संग्रहालय में अक्सर विभिन्न ऐतिहासिक प्रदर्शनियों का भी आयोजन किया जाता है।

कज़ान की देवी का महागिरजा 

Iliya Sherbakov/TASS

लाल चौक के प्रवेश द्वार से बाएँ हाथ पर एक छोटा-सा गिरजाघर बना हुआ है, जिसे कज़ान की देवी का महागिरजा कहकर पुकारा जाता है। इस गिरजाघर में घुसते ही सामने की तरफ़ कज़ान की देवी का बड़ा-सा दैवचित्र नज़र आता है। कज़ान की देवी शायद रूस में सबसे ज़्यादा मान्य सनातन ईसाई देवियों में से एक हैं। सबसे पहले इस गिरजाघर का निर्माण 1625 में किया गया था। लेकिन उसके बाद फिर कई बार इसका पुनर्निर्माण किया गया। 1936 में सोवियत सत्ताधिकारियों ने भी इसे नष्ट कर दिया था। लेकिन 1990 के दशक में इस गिरजाघर को फिर से वैसा का वैसा बना दिया गया।

’गूम’ नामक लक्जरी मॉल

Mikhail Voskresenskiy/RIA Novosti

प्राचीन काल से ही लाल चौक पर एक बड़ा बाजार और व्यापार केन्द्र बना हुआ था। आज भी यहाँ एक विशाल दुकान दिखाई देती है। ’गूम’ नाम की यह विशाल दुकान लाल चौक पर ही एक कोने में बनी हुई है। ’गूम’ का मतलब होता है — राजकीय सुपर बाज़ार। सोवियत सत्ताकाल में यह दुकान रूसी ढंग का एक विशाल सुपर बाज़ार था, जहाँ सुई से लेकर ओवरकोट और सूट तक जीवन की दैनिक आवश्यकताओं की हर चीज़ मिला करती थी। उस इमारत की छत धनुषाकार है और काँच की बनी हुई है। प्रसिद्ध रूसी इंजीनियर व्लदीमिर शूख़फ़ ने इस इमारत का निर्माण किया था।

’गूम’ रूस का मुख्य सुपर बाज़ार माना जाता है। जहाँ पहुँचकर आप न सिर्फ़ ख़रीददारी कर सकेंगे, बल्कि उसकी ख़ूबसूरती पर आप लट्टू हो जाएँगे। यहाँ मिलने वाले बेहद स्वादिष्ट आइसक्रीम खाकर आप बार-बार उसे खाने के लिए ’गूम’ आएँगे। इस आइसक्रीम का स्वाद आज भी वैसा ही है, जैसा सोवियत समय में था। बड़ी उम्र के रूसी लोगों को ’गूम’ मॉल आज भी उनके बचपन की याद दिलाता है। 

’गूम’ में एक शानदार कैफ़ेटेरिया भी बना हुआ है। इस कैफ़े की खिड़कियों से लाल चौक का और क्रेमलिन का भव्य दृश्य दिखाई देता है। यह कैफ़े बहुत महंगा नहीं है। ’गूम’ में ही परचून (गस्त्रनोम) की एक दुकान भी बनी हुई है, जिसे ’गस्त्रनोम नम्बर-1’ कहा जाता है, जहाँ आप कैवियर (मछली के अण्डे), वोदका या कुछ और भी ख़रीद सकते हैं।

लोबनए मेस्ता

Vasily Yegorov, Alexei Stuzhin/TASS

रूस के एक मुख्य चौक के रूप में लाल चौक सदियों से बहुत-सी ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह रहा है। लाल चौक पर ही ’लोबनए मेस्ता’ नामक एक मंच बना हुआ है। ऐतिहासिक दस्तावेज़ों में इस जगह का ज़िक्र सबसे पहले रूसी ज़ार इवान भयानक की विजय की घोषणा करने वाली जगह के रूप में आया है। यहीं पर खड़े होकर यह ऐलान किया गया था कि ज़ार इवान भयानक की रूसी सेना ने कजान के ख़ान को हरा दिया है। इस मंच के बारे में एक किंवदंती यह भी है कि इसी मंच पर खड़ा करके सार्वजनिक रूप से मौत की सज़ाएँ दी जाती थीं। लेकिन ऐसा नियमित रूप से नहीं किया जाता था।  आम तौर पर यहाँ खड़े होकर अधिकारी सार्वजनिक रूप से घोषणाएँ करते थे। सोवियत समय में  ’लोबनए मेस्ता’ का इस्तेमाल लेनिन समाधि पर आयोजित समारोहों के दौरान चबूतरे के रूप में किया जाता था।

वसीली सूरिकफ़ का चित्र ’स्त्रिल्त्सी को फाँसी वाली सुबह’। स्रोत : The State Tretyakov Gallery

हाँ, 1698 में इस मंच का इस्तेमाल सार्वजनिक तौर पर उन विद्रोहियों को फाँसी देने के लिए किया गया था, जिन्होंने ज़ार प्योतर प्रथम की सत्ता के विरुद्ध विद्रोह करके उनकी बहन सफ़ीया को रूस की महारानी घोषित कर दिया था। चित्रकार वसीली सूरिकफ़ ने ’स्त्रिल्त्सी को फाँसी वाली सुबह’ नाम से एक चित्र बनाया है, जिसमें यह ’लोबनए मेस्ता’ दिखाई दे रहा है।

वसीली ब्लाझिन्नी महागिरजा (सेण्ट बेसिल कैथेड्रिल) 

Panthermedia / Vostock-photo

किसी ख़ूबसूरत केक की तरह दिखाई देने वाला  यह गिरजाघर दुनिया भर में रूस और मस्क्वा की पहचान माना जाता है, जिसकी तस्वीरें लाखों पिक्चर पोस्टकार्डों और पोस्टरों पर छप चुकी हैं। कज़ान के खान की सेना पर रूसी सेना द्वारा विजय प्राप्त करने के उपलक्ष्य में रूस के ज़ार इवान ग्रोज़्नी (इवान भयानक) ने मस्क्वा के लाल चौक पर 1555 से 1561 के बीच इस महागिरजे का निर्माण कराया था। यह गिरजाघर बाहर से ही नहीं, बल्कि भीतर से भी बेहद ख़ूबसूरत है। गिरजाघर की दीवारों पर और पूजा की वेदियों पर ख़ूबसूरत दैवचित्र बने हुए हैं और उसके गुम्बद भी दैवचित्रों से सजे हुए हैं। 

इसके बारे में विस्तार से पढ़ें

क्रेमलिन की दीवार के नीचे बना क़ब्रिस्तान

Vladimir Fedorenko/RIA Novosti

1917 की रूसी समाजवादी क्रान्ति के नेता व्लदीमिर लेनिन का शरीर लाल चौक पर बनी उनकी समाधि में रखा हुआ है, लेकिन दूसरे सोवियत नेताओं और सोवियत नायकों को क्रेमलिन की दीवार के पास ही दफन किया जाता था। यहीं पर सोवियत नेता इओसिफ़ स्तालिन भी दफ़्न हैं, जिनका शरीर पहले लेनिन के बगल में ही समाधि में रखा हुआ था, लेकिन जिन्हें 1961 में क्रेमलिन की दीवार के पास दफ़्ना दिया गया था। क्रेमलिन की दीवार के पास बनी इस क़ब्रगाह में आप सोवियत सत्ता काल के अनेक महत्वपूर्ण मंत्रियों, सभी सोवियत मार्शलों, यूरी गगारिन, मक्सीम गोर्की और कई अन्य लोगों की क़ब्रें देख सकते हैं। तब क्रेमलिन की दीवार के पास दफ़्न करना सम्मान की बात समझी जाती थी। जिस अन्तिम सोवियत नेता को यहाँ दफ़नाया गया था, वे थे 1985 में सोवियत नेता कंस्तान्तिन चिरनेंका।

अन्य विभिन्न कार्यक्रम

/ RG

लाल चौक पर विभिन्न रूसी त्योहारों पर तरह-तरह के समारोह, संगीत और मनोरंजन कार्यक्रम तथा मेलों और प्रदर्शनियों का भी आयोजन किया जाता है।

अभी हाल ही में 3 से 6  जून तक यहाँ एक बड़ा पुस्तक मेला लगा था, जिसमें रूस के 500 से अधिक प्रकाशनगृहों ने भाग लिया था। इस मेले  में प्रवेश निःशुल्क था।

12 जुलाई को मस्क्वा शहर में एक बड़ी कार-रैली का आयोजन किया जाएगा। फॉर्मूला-1 के प्रेमियों के लिए यह कार-रैली सचमुच सुखद होगी। इस रैली का रास्ता क्रेमलिन की दीवारों के पास से गुज़रेगा। कार-दौड़ प्रेमी इस रैली में रेड बुल, स्क्यूडेरिया फ़ेरारी, लोटस, मैकलारेन-मर्सिडीज़ और दुनिया की दूसरी प्रसिद्ध टीमों के कारचालकों के साथ-साथ इस रैली में कमाज़ मास्टर टीम के कारचालकों को भी  मोटरकार चलाते हुए देख सकेंगे।

फिर 22 जुलाई को यहीं पर  रेट्रो कार रैली (पुरानी कारों की रैली) देखी जा सकती है। इन दोनों ही रैलियों को देखने का कोई शुल्क नहीं लगेगा। रैट्रो कार रैली में 1970 से 1980 के दौरान उत्पादित एक सौ सोवियत कारों को प्रदर्शित किया जाएगा और उसके बाद ये कारें पूरे मस्क्वा में एक सौ किलोमीटर की रैली में भाग लेंगी।

Iliya Pitalev/RIA Novosti

हर साल 1 दिसम्बर को लाल चौक पर एक विशाल हिम-रिंक बनाया जाता है, जिस पर फिसलने का आनन्द लेने के लिए रोज़ हज़ारों लोग आते हैं। इस हिम-रिंक के पास ही क्रिसमस और नव वर्ष मेला लगता है, जो पूरी सर्दियों के दौरान काम करता है। यहाँ आकर आप आप स्वादिष्ट रूसी पकवानों का आनन्द ले सकते हैं, गर्म शराबें पी सकते हैं और रूसी हस्तशिल्प के आइटम ख़रीद सकते हैं।






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